साज़िश के तहत की गई मेरे भाई की हत्या : सुफियान
लखनऊ। उत्तर प्रदेश /सदा ए वक्त /23 मई 2021 /सूत्र
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लखनऊ : एपीसीआर फैक्ट फाइंडिंग टीम ने बांगरमऊ जिला उन्नाव में पुलिस द्वारा पुलिस थाने में युवा की बर्बरता पूर्वक पिटाई करने के कारण हुई मृत्यु के मामले में उसके परिजनों व अन्य चश्मदीद लोगों से घटना के बारे में बातचीत की एवं घटना के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त की।
मृतक फैसल हुसैन (18 वर्ष) पुत्र इस्लाम हुसैन निवासी भट्ट पुरी बांगरमऊ उन्नाव के बड़े भाई मोहम्मद सुफियान ने बताया कि मेरा छोटा भाई सब्जी मंडी बांगरमऊ में पट्टी दुकानदार के रूप में सब्जी बेचने का काम करता था। दिन के समय वह दुकान पर था तभी नगर कोतवाली में तैनात सिपाही विजय चौधरी जोकि एक गुंडा टाइप का व्यक्ति है, सीमा वत नाम के एक दूसरे सिपाही के साथ दुकान पर पहुंचा और पहुंचते ही दोनों सिपाहियों ने गाली गलौज के साथ मेरे भाई को मारने पीटने लगे. मारने पीटने के बाद वे उसे बुलेट मोटर साइकिल पर बैठाकर कोतवाली बांगरमऊ ले गए जहां उसकी बेरहमी से पिटाई करने के कारण मृत्यु हो गई। मरणासन्न हालत में उक्त दोनों सिपाही व एक अन्य होमगार्ड सत्य प्रकाश मेरे भाई को सीएचसी बांगरमऊ लेकर आए जहां डॉक्टर ने देखने के उपरांत उसे मृत घोषित कर दिया। सीएचसी बांगरमऊ में एडमिट कराकर सभी पुलिसकर्मी मौके से फरार हो गए।
जब मैं और मेरे परिवार के लोग वहां पहुंचे तब तक मेरे भाई की मृत्यु हो चुकी थी। मृतक के सर, सीने और पीठ पर चोट के निशान थे।
मृतक के बड़े भाई ने आरोप लगाया है कि पुलिसकर्मियों ने किसी साजिश के तहत जानबूझ कर बर्बरता पूर्वक पिटाई करके उसके भाई की हत्या की है।
इस पूरे मामले मे APCR की तरफ़ से परिवार वालों को क़ानूनी सहायता की पेशकश की गई है.
APCR यह माँग करती है कि हत्या के इस मामले में पुलिस की गलत भूमिका साफ़ नज़र आती है इस मामले की न्यायिक जांच करा कर के दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। क्योंकि मृतक परिवार में एक मात्र कमाने वाला था मृतक के पिता और बड़ा भाई बीमार रहते हैं अतः मृतक के परिवार की आर्थिक सहायता की जाए.
APCR के सचिव एडवोकेट नज्मुस्साकिब ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश राज्य में हिरासत में होने वाली मौतों की संख्या देश के बाकी हिस्सों की तुलना में सबसे अधिक दर्ज की गई है। 2020-2021 (28 फरवरी तक) 398 हिरासत में मौतें (3 पुलिस हिरासत में बाकी 395 न्यायिक हिरासत में) हुईं। यह देश भर में दर्ज की गई कुल हिरासत में हुई मौतों (1645) का लगभग 24% है, जबकि मध्य प्रदेश सूची में दूसरे स्थान पर है। जहाँ इसी अवधि के दौरान हिरासत में 153 मौतें दर्ज की गईं। 2017 में राज्य में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से यह आंकड़ा चौंकाने वाला है। 2019-2020 में हिरासत में 403 मौतें हुईं। 2018-2019 में ऐसी 464 मौतें और 2017-2018 में 400 मौतें हुयीं जो कि राज्य सरकार की नीतियों पर प्रश्न एक बड़ा प्रश्न है।
फैक्ट फाइंडिंग टीम में एडवोकेट गुफरान अहमद, मौलवी मोहम्मद रियाज खान, इरफान अहमद, औरंगजेब खान, अखलाक अहमद, जमील अहमद मौजूद रहे.व